नई पुस्तकें >> महिला सशक्तीकरण दशा और दिशा महिला सशक्तीकरण दशा और दिशायोगेन्द्र शर्मा
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
महिलाओं की संख्या विश्व की जनसंख्या से लगभग आधी है। उनके उन्नयन के बिना परिवार, समाज व राष्ट्र की प्रगति सम्भव नहीं है। आज वे विभिन्न क्षेत्रों में अपनी योग्यताओं एवं क्षमताओं को उजागर कर रहीं हैं, जागरूकता एवं आत्मानिर्भरता की ओर उन्मुख हैं। पहले की अपेक्षा उनकी स्थिति में सुधार हुआ है, अधिकारों एवं सुरक्षा में बढोतरी भी हुई है। अब भी वे मंजिल से दूर हैं, उन्हें यह सब-कुछ प्राप्त नही हो सका है जो उनका अभीष्ट है। उनके विरुद्ध होनेवाले अपराधों में विगत की तुलना में वृद्धि हुई है। यद्यपि नये और कठोर कानून भी बने हैं लेकिन प्रभावी क्रियान्वयन तथा सामाजिक चेतना के अभाव में सशक्तीकरण कर लक्ष्य पूर्ण नहीं हो सका है। महिलाओं की उपेक्षा करने और tolerate करने की प्रवृत्ति को त्यागकर कुकृत्यों के प्रयास के विरुद्ध आवाज उठानी होगी तथा विधिक कार्यवाही के प्रति तत्पर होना होगा तभी उन्हें प्रताड़ना, अत्याचार एवं शोषण से मुक्ति सम्भव होगी।
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